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1-day-Basic Cooking Class(hindi)




“आपका भोजन आपकी औषधि होनी चाहिए और आपकी औषधि आपका भोजन होना चाहिए ।” – हिप्पोक्रेटीस

शरण इसी सिद्धांत पर आधारित है: प्रकृति के संग उपचार

हमारा दैनिक भोजन ही हमारी लगातार हो रही बीमारियों का और वज़न बढ़ने का मूल कारण है। यदि हम सही प्रकार का भोजन खाना शुरू कर दें तो हमारा शरीर स्वस्थ होने लगेगा। यह ऑनलाइन कार्यक्रम आपको उचित भोजन-शैली और सम्पूर्ण वनस्पति आधारित व्यंजनों से परिचित कराने के उद्देश्य से बनाया गया है।

इस वनस्पति आधारित आहार को अपनाकर हज़ारों लोगों ने अपनी दवाइयों से छुटकारा पाया है और कईयों ने तो वज़न भी कम किया है। अच्छी ख़बर यह है कि लोगों ने पूरे विश्वास के साथ इसे सबसे बेहतर स्वास्थ्य बीमा के रूप में मानना शुरू कर दिया है। टेस्टीमोनियल (पुष्टिकरण) के लिए यहाँ क्लिक करें

जब आप शरन की वेबसाइट पर जाएँगे, तो बाईं ओर नीचे “अनुवाद” (Translate) बटन दिखाई देगा। उस बटन पर क्लिक करें और अपनी पसंदीदा भाषा का चयन करें। इसके बाद, आप सभी रेसिपी उस भाषा में देख सकेंगे।

शरण की संस्थापिका डॉ. नंदिता शाह की कार्यशालाओं के चमत्कारिक परिणामों ने यह सिद्ध कर दिया है कि वास्तव में यह कार्यक्रम अनोखा एवं अद्वितीय है। यह आहार सबके लिए उपयुक्त है। गंभीर मेडिकल मामलों में भी इस आहार में छोटे-मोटे परिवर्तन करके रोगों से जल्दी छुटकारा पाया जा सकता है।

डॉ. शाह द्वारा शुरू किये इस अनोखे कार्यक्रम को अपनाकर वन्दना तिवारी ने पुनर्जीवन पाया है। आइए उनकी कहानी उन्हीं की जुबानी सुनते हैं।

हमारे डॉक्टरी पैनल के सभी सलाहकार स्वयं डॉ. शाह द्वारा प्रशिक्षित किये गए हैं। इनसे परामर्श (कंसल्टेशन) के द्वारा आप भी दवाइयों से छुटकारा पा सकते हैं और एक स्वस्थ जीवन की ओर अग्रसर हो सकते हैं। विस्तृत जानकारी के लिए यहाँ – क्लिक करें
इस मौलिक कुकिंग क्लास कार्यक्रम से जुड़ने के लिए अनेक शुभकामनाएं। आशा है आप अपने स्वास्थ्य की उच्चतम क्षमता को पायेंगे।







सम्पूर्ण वनस्पति आधारित आहार सर्वोतम स्वास्थ्य पाने की दिशा में पहला कदम है। अब तक हम उन सभी प्रकार के भोजन खा रहे थे जो हमारे लिए नहीं बने हैं। इसी कारणवश समय के साथ-साथ हममें अनेक बीमारियों का जन्म हुआ। दूसरी तरफ, जानवर कभी अस्पताल नहीं जाते क्योंकि वे वही खाते हैं जो प्रकृति ने उन्हें प्रदान किया है। सम्पूर्ण वनस्पति आधारित आहार हमारे स्वाद व रूचि से समझौता किये बिना हमारा परिचय शुद्ध भोजन से कराता है।
सम्पूर्ण वनस्पति आधारित आहार को समझने के लिए यह विडिओ देखें:


विटामिन बी-१२ के विषय में अधिक जानकारी के लिए यहाँ – क्लिक करें
विटामिन डी के विषय में अधिक जानकारी के लिए यहाँ – क्लिक करें






१. रसोई (किचन) को तैयार करें:

अपनी रसोई में आपको क्या-क्या बदलाव करने हैं, इसे समझने के लिए मिस तिवारी का यह विडिओ देखें।

रसोई के बर्तन बदलना दवाइयों और अस्पतालों से कम खर्चीला है। ज़्यादा सोचें नहीं, अभी खरीदें।

२. रसोई (किचन) की सफाई:

अ) यदि आप एक परिवार के रूप में इसे कर रहे हैं तो दुग्ध-उत्पादों (डेयरी प्रोडक्ट) समेत सभी पशु-उत्पादों को अपने रसोई से बाहर कर दें। सभी प्रोसेस्ड एवं रिफ़ाइन्ड (संसाधित एवं परिष्कृत) भोज्य पदार्थों जैसे तेल, चीनी, चिप्स, नूडल्स आदि को फेंक दें। यदि आप प्रारम्भ में इसे सिर्फ अपने लिए कर रहे हैं तो ऊपर वर्णित सभी सामग्रियों से स्वयं को दूर रखें।

 

ब) जैविक (organic) उत्पाद लाना शुरू कर दें। इसकी शुरुआत फल एवं सब्ज़ियों से करें। जैसे-जैसे आपकी रसोई में मसाले, नमक, दाल, चावल, आटा आदि ख़त्म होने लगे, आप इनका सम्पूर्ण व जैविक (ऑर्गेनिक) रूप लेना सुनिश्चित करें। सुझाव के लिए आप गूगल या हमारी सिटी डायरेक्टरी (शहर की निर्देशिका) https://sharan-india.org/resources/city-directories/ की सहायता ले सकते हैं। मुंबई में हमारे दो शरण ऑर्गेनिक स्टोर हैं एवं सप्ताहांत में लगने वाले ऑर्गेनिक किसान बाज़ार भी हैं जो आपके लिए बहूपयोगी सिद्ध होंगे|

 

३. भोजन पकाने की तकनीक सीखना शुरू कर दें

इस कार्यक्रम के अंतर्गत कुल ११ व्यंजनों की विधियां शामिल हैं। इन तकनीकों से आप अपना मनपसंद कोई भी व्यंजन पल में तैयार कर सकते हैं। यहाँ दुग्ध-व्यंजनों के विकल्प भी मौजूद हैं।

ये व्यंजन इस प्रकार दिखाए गए हैं कि आपको किस समय क्या खाना चाहिए इसका ज्ञान आ जाये। दुसरे शब्दों में कह सकते हैं कि इन व्यंजनों के माध्यम से आपके हर पहर के भोजन में क्या होना चाहिए इसकी समझ आपमें आ जाएगी।

यहाँ हमारा सुझाव है कि इसे समझने के लिए आप अपना पूरा समय लें। जल्दबाज़ी न करें। एक व्यंजन से शुरुआत करें, उसमें सफलता हासिल करें और फिर दूसरे व्यंजन पर बढ़ें।

 

४. कुछ आवश्यक बातें:

हम अपनों के लिए हमेशा सबसे बेहतर की चाह रखते हैं। फिलहाल बेहतर यही रहेगा कि हम उन्हें कुछ न बताएं। परिवर्तन सबके लिए आसान नहीं होता है। चलिए, हम अपनों के लिए इसे आसान बनाएं।

सभी को स्वादिष्ट भोजन चाहिए। जब तक भोजन स्वादिष्ट है कोई इसकी परवाह नहीं करता कि उसमें क्या-क्या डाला गया है। तो आप स्वादिष्ट भोजन पकाना सुनिश्चित करें और जो पकाएं उसे प्यार से पकाएं।

बिना तेल का भोजन पकाएं। यकीन मानिये, उन्हें फ़र्क पता भी नहीं चलेगा। उन्हें बिना बताये दुग्ध-व्यंजनों के विकल्प दें. जब तक आप खुद उन्हें नहीं बताएँगे वे कभी इस अंतर को नहीं पकड़ पाएंगे। हर सुबह आप अपनी ग्रीन-स्मूदी (व्यंजन-विधि नीचे दी गयी है) आनंद के साथ पीयें, किन्तु उन्हें पेश न करें। आपको स्वाद के चटकारे लेता देख वे स्वयं आपसे इसकी मांग करेंगे।





हम सामान्यतः चाय, कॉफ़ी और गरिष्ठ नाश्ता जैसे तला-भुना खाना या मीठे अन्न से सुबह का व्रत तोड़ते हैं।

अ) ग्रीन स्मूदी – आइए, हम दिन की शुरुआत उम्दा पेय से करें जो प्रकृति की अच्छाइयों से भरपूर है।




ग्रीन स्मूदी हमारे लिए आवश्यक क्यों है?

  • हरी साग-सब्ज़ियां हमारे शरीर के पोषण की ज़रूरतों जैसे – कैल्शियम, प्रोटीन, तथा विटामिन आदि का ख्याल रखते हैं।
  • सब्ज़ी एवं फल फाइबर से भरपूर होते हैं, जो शरीर को अन्दर से साफ़ करने में सहायक हैं।
  • हरी सब्ज़ियां हमारे शरीर को ज़रूरी एंजाइम प्रदान करते हैं जो हमारे पाचन प्रक्रिया को तन्दुरुस्त रखते हैं।
  • मीठे फलों के साथ इन हरी पत्तेदार सब्ज़ियों का सेवन शरीर में एनर्जी बूस्टेर्स का काम करते हैं।
  • हरी साग-सब्ज़ियां हमारी त्वचा के लिए बहुत फ़ायदेमंद हैं। इसके सेवन से आप हर महीने अपने फेशिअल पर होने वाले खर्च से निजात पा सकते हैं।
  • हरी साग-सब्ज़ियां पोषक-तत्वों से भरपूर हैं अतः आप ज़्यादा समय तक पेट भरा-सा महसूस करेंगे।.


सुझावित हरी पत्तेदार सब्ज़ियां

प्रत्येक हरी पत्तेदार सब्ज़ी में स्वास्थ्य लाभ के लिए कुछ-न-कुछ अवश्य होता है। अतः इन्हें बदल-बदल कर प्रयोग करें। उदाहरण के लिए अम्लान (Amaranth) के पत्ते या चुकन्दर के पत्तों में अपना कोई स्वाद नहीं होता है। इसीलिए इसे पुदीना, पालक या तुलसी के साथ पीसकर स्मूदी बना सकते हैं।

आप स्मूदी के लिए किसी भी खाद्य हरी पत्तेदार सब्ज़ी का प्रयोग कर सकते हैं। उदाहरण के लिए निम्नलिखित सूची देखें:

१. पुदीना
२. पालक
३. तुलसी
४. मेथी
५. हरी चौली
६. लाल चौली
७. बोक चॉय (चाइनीज़ गोभी का एक प्रकार)
८. सोआ के पत्ते (तीक्ष्ण स्वाद, अतः कम मात्रा में)
९. पान के पत्ते
१०. करी के पत्ते (४-५ पत्तियां- सुगंध के लिए, यह बालों के लिए भी उत्तम माना गया है)
११. ड्रमस्टिक (मुनगा या सोयजन) केपत्ते (तीक्ष्ण स्वाद, अतः कम मात्रा में)
१२. सलाद के पत्तों की शाखा (मात्रा स्वादानुसार)
१३. अजवाइन के पत्ते (तीक्ष्ण स्वाद, अतः कम मात्रा में)
१४. चुकन्दर के पत्ते
१५. गाजर के पत्ते
१६. धनिया के पत्ते (तीक्ष्ण स्वाद, अतः कम मात्रा में)
१७. अगस्त के पत्ते
१८. नीम्बू के पत्ते



स्मूदी बनाने के तीन नियम:

  • १. आपके दिन की शुरुआत के लिए इससे बेहतर और क्या होगा? इसका सेवन सुबह करना सर्वोत्तम है क्योंकि इसे खाली पेट ही लेना चाहिए। इसे आप रसीले गुदेदार फलों के साथ भी ले सकते हैं। दोपहर के नाश्ते के रूप में भी इसका सेवन किया जा सकता है। दरअसल, आप अपने किसी भी समय के भोजन को ग्रीन स्मूदी और फलों से बदल सकते हैं।
  • २.लगातार पालक का इस्तेमाल न करें। इसमें नमक (oxalate) होता है जो शरीर में कैल्शियम के अवशोषण (absorbtion) को रोकता है। स्मूदी के लिए हरी शाक-सब्ज़ियों को बदल-बदल कर इस्तेमाल करें।
  • ३. तरबूज़ अथवा खरबूज़ के साथ किसी अन्य फल को न मिलाएं। इसकी पाचन प्रक्रिया अलग होती है।


सुझावित फल

जैविक रूप से उगाये गए सभी मौसमी फल, ख़ासकर रसीले गुद्देदार फल
अधिक रेशेदार होने के कारण स्मूदी में खट्टे फलों का प्रयोग न करें क्योंकि ये स्मूदी को गाढ़ा नहीं बनने देंगे। हालाँकि इन्हें साथ में खाया ज़रूर जा सकता है।
केला सर्वोत्तम है क्योंकि यह पेट भरने के लिए काफी है और साल भर मिलता भी है।
आप विभिन्न फलों को मिलाकर भी स्मूदी में डाल सकते हैं। मगर ध्यान रहे, तरबूज़ या खरबूज़ को अन्य फलों के साथ न मिलाएं। उन फलों को न छीलें जिन्हें छिलके समेत खाया जा सकता है।
फलों को फ्रीज़ करने से स्वाद और भी बढ़ जाता है। यदि आप फ्रीज़ करना भूल गए हों तो कोई बात नहीं। अपनी स्मूदी को ठंडा करने के लिए आप बर्फ का इस्तेमाल कर सकते हैं।
स्मूदी के अन्य मेलों की अधिक जानकारी के लिए : व्यंजन बनाने की विधि के लिए लिंक पर जाएँ: https://sharan-india.org/recipe/drinks/
जब आप शरन की वेबसाइट पर जाएँगे, तो बाईं ओर नीचे “अनुवाद” (Translate) बटन दिखाई देगा। उस बटन पर क्लिक करें और अपनी पसंदीदा भाषा का चयन करें। इसके बाद, आप सभी रेसिपी उस भाषा में देख सकेंगे।


ब) चाय

यदि आपको गर्म पेय पसंद है तो इस शानदार हर्बल चाय की रेसिपी आपके लिए है। आप सुबह उठने के बाद या ब्रेक के समय इसका सेवन कर सकते हैं।



यहाँ आपको यह जानना बेहद ज़रूरी है कि जिन लोगों को चाय या कॉफ़ी पीने की आदत है उनमें सिरदर्द, उल्टी/जी मिचलाना, सर्दी-खांसी आदि लक्षण आ सकते हैं क्योंकि उनके शरीर को चाय या कॉफ़ी की तलब होती है। यह एक अच्छा संकेत है जो बताता है कि आपका शरीर डीटोक्सिफाइ हो रहा है। आप धीरज रखें। दो-तीन दिनों में ही आप जीवन भर के लिए अपनी चाय-कॉफ़ी की लत से छुटकारा पा जायेंगे। यकीन मानिये, इसे आज़माना व्यर्थ नहीं जाएगा।



हमें चाय-कॉफ़ी का सेवन क्यों नहीं करना चाहिए?

  • क्योंकि इन दोनों की प्रकृति अम्लीय है। हमारा शरीर क्षारीय प्रकृति का है और इसमें चाय, कॉफ़ी, चीनी तथा दुग्ध-उत्पाद जैसे अम्लीय भोजन के मिलने से हमारे स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर होता है। मांस, गैस मिश्रित पेय तथा शराब भी अम्लीय प्रकृति के होते हैं।

स) दूध

बादाम का दूध पौष्टिक और स्वादिष्ट होता है। और इसे बनाना भी बेहद आसान है।
बादाम से बने इस दूध का विडिओ देखें:


याद रहे, ६ से ८ बादाम/काजू एक कप दूध बनाने के लिए पर्याप्त है। मिठास के लिए खजूर डाला जा सकता है।

सलाह: प्रतिदिन बादाम भिगोने से बेहतर होगा कि आप सप्ताह भर का बादाम एक साथ भिगो लें। रात भर भिगोने के बाद सुबह उसका पानी निकाल लें और भीगे बादामों को फ्रिज में रख लें| अब जब भी आवश्यकता हो तुरंत उससे दूध बना लें।



फिर मुझे कैल्शियम कैसे मिलेगा?

  • हमारा शरीर क्षारीय है और दूध अम्लीय। जब हम दूध के रूप में अपने शरीर में अम्ल डालते हैं तो यह अपने वास्तविक क्षारीय रूप में आने का प्रयास करता है और ऐसा करने के क्रम में यह हमारी हड्डियों से कैल्शियम को निचोड़ लेता है।
  • वनस्पति आधारित आहार में कैल्शियम की प्रचूरता होती है - जैसे ग्रीन स्मूदी। तिल में कैल्शियम की प्रचूरता होती है। इनके अतिरिक्त बादाम, काजू, विभिन्न सब्ज़ियों, फलियों आदि में कैल्शियम भरपूर मात्रा में उपलब्ध हैं। यदि आप अम्लीय भोजन न करके ग्रीन स्मूदी और वनस्पति आधारित आहार का सेवन कर रहे हैं तो आपको अपने शरीर में कैल्शियम के मात्रा की चिंता नहीं करना चाहिए।


इन वीडियो को अवश्य देखें



द) सुबह के नाश्ते में खाएं क्या?

आदर्श रूप में सुबह के नाश्ते के लिए फल व ग्रीन स्मूदी पर्याप्त हैं। फल में हरे पत्ते मिलाने से यह आश्चर्यजनक रूप से पेट भरता है। अतः दो ग्लास ग्रीन स्मूदी ही पेट भरने के लिए पर्याप्त है। फिर भी यदि आप पकाए हुए खाने के आदि हैं, तो तेल-रहित सम्पूर्ण जैविक अन्न से खाना पकाइए। (तेल-रहित तकनीक हमारे दोपहर का भोजन भाग में दिखाए गए हैं।)

उदाहरण के तौर पर इडली या डोसा बनाने के लिए ब्राउन राइस या रेड राइस का प्रयोग करें, तथा समूचे काले उड़द दाल छिलके समेत पीसें। आप चावल की जगह बाजरे का प्रयोग भी कर सकते हैं।

तेल-रहित डोसा, चीला, पैनकेक आदि बनाने की विधि जानने के लिए नीचे दिए वीडियो को देखें।


• पोहा बनाने के लिए ब्राउन राइस या रेड राइस पोहा का प्रयोग करें।

• उपमा बनाने के लिए बाजरे का प्रयोग करें। सूजी/रवा गेहूं का परिष्कृत (रिफाइंड) रूप है।

• जई (ओअट्स) के लिए जई के समूचे स्वरूप का प्रयोग करें।

• पराठा बनाने के लिए चोकरयुक्त गेहूँ के आटे या बाजरे (millets) के आटे का प्रयोग करें तथा उसमें नट बटर (मूंगफली/बादाम/काजू का मक्खन) मिलाकर आटा गुंथें, ताकि पराठे सूखे-से ना लगे।

• सीरियल्स (अनाज) के लिए अपनी मूसली स्वयं घर पर ही बनाना सर्वोत्तम होगा।

• टोस्ट के लिए ब्रेड घर पर स्वयं बनाएं। यदि बाज़ार से लाना पड़े तो ब्रेड बनाने में लगी सामग्री का विवरण अवश्य पढ़ें। अधिकतर ब्रेड में मैदा, तेल, और यहाँ तक कि प्रिज़र्वेटिव के साथ-साथ दूध का पाउडर भी मिला होता है। ब्रेड की बजाय आप चोकरयुक्त आटे का रोटीनुमा रैप्स (wraps) बना सकते हैं। ब्रेड बनाने के तरीके जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।

इ) मक्खन

बाज़ार में मिलने वाले मूंगफली के मक्खन (पीनट बटर) में तेल, नमक, चीनी और अधिकतर में तो प्रिज़र्वेटिव भी मिले होते हैं। अतः बेहतर यही होगा कि आप घर पर ही स्वास्थ्यवर्धक मूंगफली का मक्खन तैयार करें ।

“वनस्पति आधारित मक्खन घर पर कैसे बनाएं?” जानने के लिए नीचे दिए वीडियो को देखें।

बादाम, काजू, पिस्ता, अखरोट, हेज़लनट, मैकाडामिया नट आदि से मक्खन बनाने के लिए भी इसी विधि का प्रयोग कर सकते हैं। आप सफ़ेद तिल जैसे बीजों से भी मक्खन बना सकते हैं। काजू का मक्खन कच्चे काजू को बिना भुने भी बनाया जा सकता है।

भारतीय मिठाई या उत्तर-भारतीय मीठे व्यंजनों में प्रयोग होने वाले दूध या दूध के मक्खन के स्थान पर आप काजू मक्खन का प्रयोग कर सकते हैं ।

नारियल मक्खन बनाने के लिए ऑर्गेनिक नारियल के बुरादों को सीधे पीसें। उन्हें भूनने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि ये पहले से भुने होते हैं। ये घी जैसे दिखते हैं और रोटी तथा पराठा पर घी के सामान ही प्रयोग किये जा सकते हैं।
नोट: कमरे के तापमान पर सूखे स्थान पर रखने से नट बटर तीन महीने तक आसानी से रह सकते हैं। इन्हें फ्रिज में न रखें अन्यथा ये जम जायेंगे।
सुबह के नाश्ते के अन्य सुझावों के लिए यहाँ क्लिक करें।







दोपहर का भोजन हमेशा सलाद से शुरू करें। भोजन के मूल रूप यानि कच्चे खाने में पके खाने से अधिक पोषक तत्व होते हैं। अतः यह अवश्य सुनिश्चित करें कि आपके हर पहर के आहार में कुछ कच्चा भोजन हरबार रहे। सलाद और ड्रेसिंग के कुछ अनोखे व्यंजनों और नुस्खों के लिए निम्नलिखित लिंक पर जायें: https://sharan-india.org/recipes/salads/

सब्ज़ी व दाल को बिना तेल के बनाएं। तेल एक परिष्कृत (रिफ़ाइन्ड) उत्पाद है और यह बिना फाइबर वाला शुद्ध वसा(फैट) है। जब हम नारियल, मूंगफली, सरसों के बीज, सूरजमुखी के बीज को उसके सम्पूर्ण रूप में लेते हैं तो भोजन का फाइबर वसा के साथ मिला रहता है और खून में वसा कि अकस्मात् वृद्धि को रोकता है।

इन व्यजनों को बनाने की तकनीक पर ध्यान दें ताकि आप इन तकनीकों को अपनाकर अपनी पसंद के अन्य व्पयंजन भी स्वयं बना सकें।



हमारे शरीर को तेल की आवश्कता नहीं है क्या?

  • बिल्कुल है। हमारे शरीर को ज़रूरी वसा नारियल, मूंगफली, सरसों के बीज आदि के मूल रूप से ही मिल जाता है। उसके लिए आपको उन्हें परिष्कृत कर (refined) तेल निकालने की आवश्यकता नहीं है।


तेल-रहित तड़का

तेल-रहित सब्ज़ी

पनीर (तोफू) मक्खनवाला

एक समय में एक प्रकार का अनाज खाना सर्वोत्तम है – रोटी अथवा चावल। चावल भी सम्पूर्ण रूप में होना चाहिए इसीलिए ब्राउन या रेड या काले चावल का प्रयोग करें। रोटी में भी आप प्रतिदिन अलग-अलग तरह के आटे मसलन ज्वार, बाजरा, चावल, मकई, चना, रागी आदि का प्रयोग कर सकते हैं। एक बार में एक तरह के आटे का प्रयोग करना उत्तम रहेगा। आटे में अनाज की मात्रा कम करने के लिए हम उसमें कसे हुए चुकन्दर, खीरा, पालक, लौकी सरीखे सब्ज़ी मिला सकते हैं। यानी आप आटा पानी से नहीं बल्कि इन सब्ज़ियों से गूंथे और पानी उतना ही डालें जो आटे को बांध सके। इतना ही नहीं, आप इसमें उबले हुए आलू, पालक, शकरकंद, गाजर, चुकन्दर आदि भी मिला सकते हैं। इस तरह से आपकी रोटियाँ रंगीन तो बनेंगी ही, आपके भोजन में सब्ज़ियों की मात्रा भी बढ़ जाएगी।

Palak Chapathi

यदि आपको भोजन के साथ रायता, छाछ, या कढ़ी खाने की आदत है तो ये सभी दही से बनने वाले व्यंजन हैं। यहाँ दूध-रहित दही बनाने की विधि दी जा रही है। इसका स्वाद दूध से बनी दही से अलग होता है। हालाँकि इसमें कुछ फ्लेवर मिलाने से आप अंतर नहीं बता पाएंगे।



दही


एक कप मूंगफली एक लीटर दही के लिए पर्याप्त है।

यदि आपको अपनी दही खट्टी अच्छी लगती है तो फ्रिज में रखने से पहले इसे लम्बे समय तक बाहर रहने दें। आप इसे खट्टा करने के लिए बाद में नीम्बू भी मिला सकते हैं।



काजू की दही

  • अभी-अभी हमने काजू से दही बनाना सीखा जो दूध से बनी दही जैसा ही स्वाद देता है और सीधे खाया जा सकता है। अन्य वनस्पति आधारित योगर्ट में साधारणतः मसालों की आवश्यकता होती है, किन्तु काजू से बनी दही में नहीं।
  • हालाँकि एक लीटर काजू दही बनाने के लिए मात्र 75 ग्राम काजू ही लगते हैं किन्तु इसका सेवन अधिक मात्रा में ना करें क्योंकि इसमें वसा होता है।
  • एक सलाह: जब कभी आपको पराठा के साथ सादी दही खाने का मन करे, आप काजू दही बना लें क्योंकि काजू दही स्वादिष्ट भी है और सेहतमंद भी। छाछ, रायता, कढ़ी, ढोकला आदि बनाने लिए मूंगफली की दही का प्रयोग बेहतर होगा क्योंकि रायता बनाने के क्रम में इसमें पानी व विभिन्न मसाले डाले जाते हैं जिससे इसका स्वाद बढ़ जाता है और यह दूध की दही के रायते जैसा ही लगता है।
  • Cashew curd video- http://tiny.cc/efrzhz


यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि आपको यह योगर्ट सीधे नहीं भी पसंद आ सकता है। मगर इसमें मसालों के सही मिश्रण से इसे स्वादिष्ट बनाया जा सकता है। यदि आपको मूंगफली का स्वाद तेज़ लगे तो मूंगफली की मात्रा आधी करके आप इसमें आधा कप बादाम भी मिला सकते हैं। आप चाहें तो केवल बादाम से भी दही बना सकते हैं। ध्यान रहे, एक कप बादाम एक लीटर दही बनाता है और चूँकि आप अधिकतर व्यंजनों में सिर्फ पानी मिलाते हैं, बादाम की कितनी मात्रा आपके पाचन के लिए उपयुक्त होगी, इसका ख्याल रखते हुए ही इन्हें खाएं। दोपहर के भोजन के अन्य व्यंजनों के लिए नीचे दिए लिंक्स देखें:

भारतीय व्यंजनों के लिए: https://sharan-india.org/recipe/indian-main-dishes/

ग्लोबल व्यंजनों के लिए: https://sharan-india.org/recipe/main-dishes/



दोपहर का भोजन, एक नज़र में:

  • जब भूख लगे, तभी खाएं।
  • ऑर्गेनिक एवं सम्पूर्ण रूप में सामग्री का प्रयोग करें
  • तेल-रहित भोजन पकाएं।
  • भोजन की शुरुआत सलाद से करें।
  • एक समय में एक तरह के अनाज का प्रयोग करें।






यदि आपको रात्रि के भोजन से पहले भूख लगती हो तो शाम का नाश्ता अच्छा विकल्प है। आइए नाश्ते के कुछ व्यंजन देखें:

एक अन्य ग्रीन स्मूदी – अपने मौलिक रूप में, फाइबर से लबालब व पोषण से भरपूर

फल खाएं|

यदि आपको मसालेदार खाने की तलब हो रही हो तो आप चाट बना सकते हैं। प्रत्येक रात भिन्न-भिन्न बीन्स जैसे राजमा, चावली, काला चना आदि को भिगो लें या उन्हें अंकुरित कर लें। उसमें टमाटर, खीरा, शिमला मिर्च, उबले आलू, मकई आदि मिला लें। इसके साथ खाने के लिए आप विभिन्न प्रकार की चटनियाँ जैसे लहसुन की चटनी, हरी चटनी, इमली की चटनी आदि भी बना सकते हैं।

अपनी चाट में आप तेल-रहित फरसाण, खाखरा, मखाना आदि भी मिलाया जा सकता है।

यदि आप चीज़ (cheese) के प्रेमी हैं और नाश्ते में चीज़ खाना पसंद करते हैं तो यहाँ खास आपके लिए चीज़ बनाने की विधि बताई जा रही है।




बाज़ार से ख़रीदे गए चीज़ में क्या ख़राबी है?

  • पहली बात तो यह कि वे दूध से बने होते हैं। दूसरी बात यह है कि डिब्बाबंद शाकाहारी चीज़ में तेल व प्रिज़र्वेटिव मिले होते हैं - ऐसे रसायन जो हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छे नहीं माने गए हैं। किसी भी डिब्बाबंद उत्पाद को खरीदने से पहले उसका लेबल अवश्य पढ़ें।



इसे कम-से कम दस दिनों तक फ्रिज में रखा जा सकता है।

नाश्ते के अन्य व्यंजनों के लिए कृपया यहाँ क्लिक करें।





रात्रि के भोजन की शुरुआत हमेशा सलाद से करें। इस तरह से आप यह सुनिश्चित कर सकेंगे कि आप भोजन को उसके मूल रूप में ग्रहण कर रहे हैं जो स्वास्थ्य की दृष्टि से सर्वोत्तम होता है।

मेयोनीज़ के साथ सलाद अथवा कोलस्लॉ स्वादिष्ट लगता है। बाज़ार में मिलने वाले मेयोनीज़ में तेल, अंडा, चीनी और प्रिज़र्वेटिव होते हैं अतः सदैव लेबल देखकर ही खरीददारी करें।

घर पर आसानी से मेयोनीज़ बनाने की विधि के लिए यह विडिओ देखें:


गर्मागरम सूप भी रात्रि के भोजन की शुरुआत के लिए उत्तम है। सूप भी घर में ही बनाएं और सूप को गाढा करने के लिए कॉर्न फ़्लावर की जगह ब्राउन राइस का आटा प्रयोग करें।

सूप के और व्यंजनों के लिए यहाँ क्लिक करें

इनके अतिरिक्त यदि आप कुछ अन्य खाना चाहते हैं तो ध्यान रहे कि वह सम्पूर्ण हो, ऑर्गेनिक हो तथा तेल-रहित हो।

बेहतर यही होगा कि आप रात्रि का भोजन जल्दी कर लें ताकि सोने जाने से पहले आपका खाना पच सके।



रात्रि का भोजन, एक नज़र में

  • जब भूख लगे, तभी खाएं।
  • समूर्ण एवं ऑर्गेनिक सामग्रियों का प्रयोग करें।
  • तेल-रहित भोजन पकाएं।
  • सलाद के साथ शुरुआत करें। आप सलाद को ही अपना भोजन बना सकते हैं। साथ में सूप लें।
  • एक समय में एक ही प्रकार का अनाज लें।
  • रात्रि का भोजन जितना जल्दी हो सकें कर लें, ८ बजे से पहले तो यकीनन ही कर लें। सोने से कम-से-कम दो घंटे पहले भोजन करना स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा माना जता है। किन्तु ध्यान रहे, दो खानों के बीच कम-से-कम तीन घंटों का अंतर अवश्य रखें। स्वस्थ रहने के लिए रात्रि १० बजे तक अवश्य ही सो जाएँ।







यदि खाने के बाद मीठा खाना आपकी कमजोरी है तो आप प्राकृतिक चीनी जैसे ताज़ा सूखे खजूर, किशमिश या अंजीर का प्रयोग कर सकते हैं।

हम गुड़ की सलाह नहीं देते हैं, ख़ासकर तब जब आप हमारे इस अनोखे आहार योजना की ओर अग्रसर हैं क्योंकि गुड़ सम्पूर्ण आहार है ही नहीं। इसके सारे रेशे (फाइबर) तो निकाल दिए जाते हैं।

हम स्टेविया यानी मीठी तुलसी की सलाह भी नहीं देते हैं क्योंकि ये चीनी की तृष्णा को कम नहीं कर सकते हैं।

रासायनिक चीनी (केमिकल स्वीटनर) तो प्रश्न से परे है।

यदि आपको मीठा खाना अनिवार्य है तो खजूर या अंजीर में अपना मन रमा लें। ग्रीन स्मूदी चीनी की तलब को कम करने में मददगार होते हैं।

आइए, स्वादिष्ट कुल्फी बनाने की विधि का यह वीडियो देखें:


मीठे व्यंजनों की अन्य विधियां जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।







स्वास्थ्य के ये तीन मंत्र अवश्य याद रखें:

1) वसा: वसा यानी फैट को अपने भोजन से निकाल फेंके। सभी पशु उत्पाद यहाँ तक कि दुग्ध-उत्पादों में भी वसा की प्रचूरता होती है। तेल भी शुद्ध वसा है। हमें बादाम और बीजों से उत्तम वसा मिल जाते हैं। ध्यान रहे, हमें प्रतिदिन बादाम खाने की आवश्यकता नहीं है। जब कभी बादाम खाएं, एक बार में १० से अधिक न खाएं। मूंगफली बादाम की श्रेणी में नहीं आते हैं बल्कि ये फलियाँ हैं। इन्हें थोड़ी अधिक मात्रा में खाया जा सकता है।

फ़ाइबर: फ़ाइबर यानी रेशे हमारे शरीर को अन्दर से स्वच्छ करते हैं। ये शरीर के विषाक्त पदार्थों (toxins) के साथ-साथ शरीर में जमे चर्बी (वसा) को भी बाहर करने में मददगार हैं। सुनिश्चित करें कि सम्पूर्ण आहार के साथ यह आंतरिक सफाई प्रतिदिन हो।

3) तन्दुरुस्ती: शारीरिक तन्दुरुस्ती अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी है। अतः प्रतिदिन सुबह की सैर व व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। शरीर के साथ-साथ मानसिक तन्दुरुस्ती भी हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद ज़रूरी है। हमारे विचारों का हमारे स्वास्थ्य पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। अतः ऐसे लोगों व गुरुओं को पढ़ें या सुनें जो आपको प्रेरित करते हों तथा जीवन में खुश और सकारात्मक रहने की सीख देते हों।

सम्पूर्ण वनस्पति आधारित आहार के विषय में आवश्यक सभी जानकारियाँ आपको दे दी गयी है। यह स्वस्थ शरीर की तरफ आपका पहला कदम है। “इसके बाद क्या” जानने के लिए पहले इन विधियों में पारंगत होवें। आप स्वयं ही दूसरे चरण में पहुँच जायेंगे। सच पूछिये तो आपका शरीर स्वयं आपका मार्गदर्शन करेगा।

कुछ महत्वपूर्ण बातें:

इस भोजन शैली पर बने रहने के लिए सम्बंधित विषय से जुड़े प्रसंग पढ़ते रहें। हमारे फेसबुक पेज Sharan India और इन्स्टाग्राम हैंडल sharan india से अवश्य जुड़ें। कुछ रोचक पठन सामग्रियों के लिए लिंक देखें: https://sharan-india.org/resources/. हमारे कुछ प्रकाशन आप यहाँ दिए लिंक पर जाकर खरीद सकते हैं या मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं : https://sharan-india.org/publications/

हम अपनी गतिविधियों की जानकारी महीने में दो बार प्रकाशित होने वाले न्यूज़लेटर के ज़रिये आपतक ईमेल द्वारा पहुंचाते हैं। आपको भी यह ईमेल अवश्य मिलता होगा। यदि नहीं, तो एक बार अपने स्पैम मेल में देखें। यदि वहां भी न मिले तो हमें info@sharan-india.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें।

आप अपने मोबाइल फ़ोन पर व्हाट्सएप ब्रॉडकास्ट सन्देश भी अवश्य पाते होंगे जिसके ज़रिये हम स्वास्थ्य सम्बन्धी रोचक बातें, व्यंजन विधि आदि भेजते हैं। यदि आपको ये व्हाट्स एप सन्देश नहीं मिल रहा हो तो हमारे व्हाट्सएप नम्बर 9967425200 पर SUBSCRIBE के साथ अपना पूरा नाम, ईमेल आईडी, तथा शहर का नाम लिखकर भेजें।

प्रेरणादायी फिल्में देखें। कुछ फिल्मों के नाम यहाँ दिए जा रहे हैं। यूट्यूब या नेटफ्लिक्स पर इनकी उपलब्धता परखी जा सकती है।

  • गेम चेंजर्स
  • फ़ोर्क ओवर नाइव्स
  • व्हाट द हेल्थ
  • काउज़पिरेसी
  • हंग्री फॉर चेंज
  • यु कैन हील योर लाइफ
  • अर्थलिंग्स

हमेशा याद रखें: यदि आप इस सम्पूर्ण वनस्पति आधारित आहार का पालन कर रहे हैं तो न केवल अपने स्वास्थ्य और पशुओं की रक्षा कर रहे हैं बल्कि पर्यावरण का संतुलन बनाये रखने में भी अक्षुण्ण योगदान दे रहे हैं।

अपने स्वास्थ्य या आहार सम्बन्धी किसी भी आशंका के समाधान के लिए आप हमारे “frequently asked questions” भाग में जा सकते हैं – https://sharan-india.org/faqs/.

यदि आप हमें कभी अपने शहर में पायें तो हमारे कार्यक्रमों में अवश्य भाग लें। हमारे कार्यक्रमों में कुकिंग कक्षाओं से लेकर कार्यशाला, बातचीत, सिनेमा स्क्रीनिंग, पॉटलक, किसान बाज़ार आदि शामिल हैं।

यदि आप हमारे कार्यक्रमों से प्रभावित हैं और आपको इसका भरपूर लाभ मिला हो तो आप अपना अनुभव हमसे अवश्य साझा करें। यदि आप हमारे विचारों को अन्य लोगों तक पहुँचाना चाहते हैं तो हमसे प्रशिक्षण प्राप्त कर यकीनन ऐसा कर सकते हैं। हमारे ट्रेनिंग कार्यक्रमों का विवरण हमारे वेबसाइट पर देखें।website.

आपको और आपके परिजनों को हमारी शुभकामनाएं। स्वस्थ रहें, प्रसन्न रहें।

धन्यवाद!

टीम शरण।




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Sanctuary for Health And Reconnection to Animals and Nature

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